माँ नहीं खरीद सकती थी टच स्क्रीन मोबाइल और ...
माँ
के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने 14 वर्ष के बच्चे के लिए टच स्क्रीन
मोबाइल खरीद देती । वह पैसों की कमी से लाचार थी । बस दिहाड़ी मजदूर ही तो
थी । करती तो क्या करती । उसने बच्चे को यह बताने का भी प्रयास किया कि
उसकी उम्र इतनी नहीं है कि वह टच स्क्रीन मोबाइल तो क्या साधारण मोबाइल भी
इस्तेमाल करे । और भला किसलिए ? मगर बच्चे की जिद्द थी कि उसके पास मोबाइल
होना ही चाहिए । आखिरकार टच स्क्रीन मोबाइल इस्तेमाल कर रहे अपने हम उम्र
बच्चों के बीच वह पीछे क्यों रहता ? वह तो बच्चा था , उसे गरीबी - अमीरी से
क्या लेना देना था । अमीरी - गरीबी गई तेल लेने । उसे तो बस हाथ में टच
स्क्रीन मोबाइल चाहिए था । पैसे की तंगी झेल रही माँ अपने बच्चे की मांग
पूरी नहीं कर सकी और उसके बच्चे ने स्वयं की जान ले ली ।
याद है 70 और शुरुआती 80 के दो दशक जब मैट्रिक पास करने के बाद ही घर का बच्चा फुल पैंट, हाथ में घड़ी और साइकिल का हकदार हो पाता था । जहां फुल पैंट मैट्रिक पास बच्चे को उसके बड़े होने का एहसास दिलाता था वहीं साइकिल उसे शहर की सड़कों और गलियों से परिचित हो जाने के लिए प्रेरित करने लगती थी । बेशक साइकिल तो कॉलेज जाने के लिए खरीदी गई मगर साइकिल विहीन दोस्तों को आगे-पीछे बैठाकर खेलने-कूदने के समय में कोई रोकता क्यों और भला क्यों ? वह घड़ी ही हुआ करती थी जो समय का एहसास दिलाया करती थी कि शाम ढलते ही घर में दाखिल हो जाना है और हाथ-पांव धोकर पढ़ने बैठ जाना है । बस बच्चे से बढ़कर किशोर उम्र को ही तो जी रहे थे । व्यस्क कहलाने में तो अभी वर्षों की दूरी थी ।
खैर , साइकिल की सवारी का मजा साइकिल विहीन बच्चों को भी रोजाना मिल जाया करता था । मगर यह टच स्क्रीन मोबाइल तो एक्सक्लूसिवली मोबाइल मालिक का ही होता है। और जब यह टच स्क्रीन मोबाइल इस्तेमाल में नहीं होता है तब ऑटोमेटिक लॉक हो जाया करता है । मालिक के अलावा इस टच स्क्रीन मोबाइल को कोई दूसरा टच भी नहीं कर सकता । तो टच स्क्रीन मोबाइल के लिए स्वयं की जान ले लेनेवाले उस बच्चे की मनोदशा की जरा कल्पना करने की कोशिश कीजिए बल्कि उसे अपने मस्तिष्क में जी कर अनुभव करने की कोशिश कीजिए । वह बच्चा इस हीन भावना से ग्रसित होगा कि उसके पास टच स्क्रीन मोबाइल नहीं है ... कि वह उस पर गेम खेल सके , कि अपने दोस्त को फोन कर सके ... व्हाट्स अप कर सके ... फोटो खींच सके ... फेस बुक में डाल सके और न जाने क्या - क्या ! गौर कीजिए बच्चे को यह चुनौती उसी समय मिल गई जब इस उम्र के बच्चों में ना ना प्रकार के विचार आते हैं और कम-से-कम मन से उनकी क्षमता इतनी होती है कि उन्हें लगता है कि वे दुनिया जीत ले सकते हैं ... टच स्क्रीन मोबाइल क्या चीज थी !
किसी ने सही ही कहा है ... Since Teen Agers Are Too Old To Do The Things Little Children Do And Not Old Enough To Do The Things Elders Do ; They Do The Things NoBody Else Does !
वाकई मोबाइल ने चैन छिन लिया है , जीना मुश्किल कर दिया है उन जिम्मेदार गार्जियनों के लिए भी जो अपने बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को लेकर गम्भीर हैं । मेरे एक करीबी रिश्तेदार ने तो अपने दोनों बच्चों की पढ़ाई को लेकर इतना फोक्सड रहे कि मोबाइल तो दूर घर में टीव्ही भी नहीं चलने दी । और बेटा जब आगे की पढ़ाई करने के लिए जन्मस्थान से बाहर निकला तब उसके हाथ में बस एक साधारण मोबाइल था ताकि वह अपने गार्जियन से बातचीत कर सके । ऐसा नहीं था कि दोनों बच्चों को टच स्क्रीन मोबाइल पर गेम खेलने वगैरह की इच्छा नहीं होती होगी मगर दूरदर्शी माता-पिता अपने बच्चों को इतना एहसास जरूर करा दिये कि प्राथमिकता में पढ़ाई पहले और आखिरी है । निश्चय ही कई दफा घर में तनाव की स्थति पैदा हो जाया करती थी मगर उस तनाव भरे वातावरण में प्रेरणादायी बातें कर बच्चों का ध्यान मोबाइल से हटाकर वापस उस दिन के अध्याय पर केंद्रित कर देने में माता-पिता हमेशा कामयाब हो जाया करते थे ।
तो अब बात उन माता - पिताओं की , उन गार्जियनों की जो अपने बच्चों की पढ़ाई को गम्भीरता से नहीं ले रहे और बच्चे की हर छोटी-बड़ी सौख पूरी कर दे रहे हैं । ऐसे माता-पिताओं या गार्जियनों को यह एहसास होना जरूरी है कि एक दिन उनके बच्चों को खुद के जीवन की जिम्मेदारी लेनी ही होगी । उन्हें उस जीवन में प्रवेश करना ही होगा जिसकी जिम्मेदारी उन्हें ही लेनी होगी । तो क्या आप माता-पिता ... गार्जियन यह नहीं चाहते कि आपके बच्चे स्वयं के जीवन की जिम्मेदारी अपने शेष जीवन के लिए लेते वक्त योग्य हो चुके हों । उनकी शिक्षा पूरी हो चुकी हो , उन्हें अच्छे - बुरे का ज्ञान हो चुका हो और सबसे बढ़कर कि उनकी जिम्मेदारी समाज के प्रति बहुत ज्यादा है ... इतना ज्यादा कि कोई ऐसी हरकत नहीं करें कि उसका खराब प्रभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज पर पड़े । क्या इतना के बाद भी यह बताने की जरूरत है कि उस 14 वर्षीय बच्चे ................ समझदार को इशारा काफी है ।